हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, आयतुल्लाह आराफ़ी ने आयतुल्लाह जवादी आमोली के साथ अंतर्राष्ट्रीय तफ़सीर तसनीम सम्मेलन की नीति निर्धारण परिषद के सदस्यों की एक बैठक में सम्मेलन की प्रगति पर एक रिपोर्ट पेश की और आयतुल्लाहिल उज़्मा जवादी आमोली को संबोधित करते हुए कहा: हमें आपकी शुभकामनाओं और मार्गदर्शन की आवश्यकता है ताकि हम हौज़ा को समस्याओं का सामना करने और शानदार जीत हासिल करने में मदद कर सकें। हम हौज़ा के स्तंभों, उसके नेताओं और उनकी वैचारिक उपलब्धियों के प्रति दायित्वबद्ध हैं, हमें उनका आभार मानना चाहिए और उनकी वैज्ञानिक रचनाओं को प्रकाशित करने और विस्तारित करने का प्रयास करना चाहिए।
आयतुल्लाहिल उज़्मा जवादी आमोली के वैज्ञानिक और शैक्षिक पद का उल्लेख करते हुए, उन्होंने कहा: पचास से अधिक वर्षों से, आपकी शुभ उपस्थिति ख़ैरात व बरकात का स्रोत रही है और आपने मानव शक्ति के प्रशिक्षण और मूल्यवान कार्यों के निर्माण में एक अद्वितीय भूमिका निभाई है, विशेष रूप से फ़िक़्ह, आयात, हिकमत और कुरआन की तफ़सीर के क्षेत्र में। आपके ज्ञान से हजारों लोगों को लाभ हुआ है और कुरआन के क्षेत्र में आपके वैज्ञानिक प्रयास अद्वितीय हैं। आपके जैसी शख्सीयत जो क्षेत्र में तफ़सीर का एक पूरा पाठयक्म प्रदान करते हैं, वास्तव में अद्वितीय हैं। अब जब आपका तफ़सीरी सिलसिला समाप्त हो गया है, तो एक बड़ा खला महसूस होता है, इसलिए हम आपसे अनुरोध करते हैं कि कम से कम सप्ताह में एक बार हौज़ा में कुरआन की कक्षा स्थापित करें।
आयतुल्लाह आराफी ने आगे कहा: व्यवस्थित (तरतीबी) और विषयगत (मौज़ूई) दोनों तफ़सीरो में, आपके मूल्यवान कार्य विरासत में मिले हैं। आप हौ़ज़ा में कई वैज्ञानिक और कुरानिक आंदोलनों के ध्वजवाहक हैं। अब जब तफ़सीर तसनीम अपने अंत तक पहुँच गई है, तो हमारा सबसे छोटा कर्तव्य इस महान कार्य को पूरा करने और इसका अधिक से अधिक लाभ उठाने के लिए आधार तैयार करना है। मैंने व्यक्तिगत रूप से कई बार सर्वोच्च नेता से सुना है कि उन्होंने जोर दिया है कि आयतुल्लाह जवादी आमोली के वैचारिक योगदानों पर ध्यान दिया जाना चाहिए और उनका विस्तार किया जाना चाहिए।
आयतुल्लाह आराफ़ी ने तफ़सीर तसनीम के अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के आयोजन की ओर इशारा करते हुए कहा कि यह सम्मेलन सोमवार को आयोजित होगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि ये मूल्यवान ज्ञान और अधिक फैलेंगे और इस महत्वपूर्ण मार्ग को जारी रखा जाएगा।
आयतुल्लाह आराफ़ी ने यह भी कहा कि आज कुरआन और तफ़सीर के प्रति ध्यान धार्मिक विद्यालयों में एक अच्छे स्तर पर है। विभिन्न स्तरों पर 200 से अधिक तफसीरी पाठ्यक्रम चलाए जा रहे हैं, 20 विशेष मदरसो में कुरानिक गतिविधियाँ हो रही हैं, और इस क्षेत्र में 10 से अधिक वैज्ञानिक पत्रिकाएँ प्रकाशित हो रही हैं। कुरान पर कई लेख और शोध प्रबंध लिखे गए हैं, और आपके जैसे व्यक्तित्वों की उपस्थिति इस मार्ग को जारी रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। हम सभी का कर्तव्य है कि इस ज्ञान को युवा पीढ़ी, समाज, ईरान और पूरी दुनिया तक पहुँचाएँ। जहाँ भी वा ज़लाल बहता है, वह स्थान समृद्ध होगा; इसलिए, हमें इस बड़े आयोजन के प्रचार में विशेष ध्यान देना चाहिए, चाहे वह देश के अंदर हो या बाहर।
यह उल्लेखनीय है कि अंतर्राष्ट्रीय तफसीर तसनीम सम्मेलन, आयतुल्लाह जवादी आमोली की मूल्यवान कृति, 24 फ़रवरी 2025 को कुम के दार अल-शिफा मदरसे में आयोजित किया जाएगा। इस सम्मेलन में, तफसीर तसनीम के 80 खंडों और कुरआन की तफ़सीरे मौज़ूई के 20 खंडो का अनावरण किया जाएगा।
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